आस एकबरे मास्टरै- मास्टर बस्साँउ


लेखक : लेखापढी      ३१ असार २०८०, आईतवार २१:०३ मा प्रकाशित     
आस एकबरे मास्टरै- मास्टर बस्साँउ
आस एकबरे मास्टरै मास्टर बस्साँउ
खेतो बडौनाकि कम्मर कस्साँउ
अइलै नाइ रे दश वर्षको योजना बनाइबरे
उब्यान्दकि निउति घुँडा धस्साँउ
चेलो, बल्ल रे कोथलो अर्खाको नाइ हुनो
बिउ ढपो लाइ मलजल गर्या खेतो धाइ हुनो
आब नजाण्या कुकुणा बनाउन छाड्डुछ
खै लागिकि सकाकि विधि सित आँखा ताड्डुछ

              तबै भण्ण्याहुँ
आस एकबरे मास्टरै मास्टर बस्साँउ
खेतो बडौनाकि कम्मर कस्साँउ
अइलै नाइ रे दश वर्षको योजना बनाइबरे
उब्यान्दकि निउति घुँडा धस्साँउ
 
खित्याका दना खोएइबरे चारो कति दिन खोजला
 ठूँण खिएइ चारो खोजन्ना तब त हर्क रोजला
“गधा ,बाँदर ,यत्ति पनि आँउदैन “- इन कुरा छाड्डुछ
अचेतलाई सचेत बनौनाकि अज्ञानमा झम्टि दाड्डुछ
 
           तबै भण्ण्याहुँ
आस एकबरे मास्टरै मास्टर बस्साँउ
खेतो बडौनाकि कम्मर कस्साँउ
अइलै नाइ रे दश वर्षको योजना बनाइबरे
उब्यान्दकि निउति घुँडा धस्साँउ
ठठ्ठडा,घमीण्णबाज,अटेड पैदा भ्या अम्कना
ब्यानलै दारु सुर्कि लाउनपस्या फल्सना ढिस्कना
इमान,जमान,फर्जको चेहरा इनरा मनमा गाड्डुछ
मछा मद्द्या तरीका सिकाउनु हो मछा मारि खोयौन छाड्डुछ 
 
          तबै भण्ण्याहुँ
आस एकबरे मास्टरै मास्टर बस्साँउ
खेतो बडौनाकि कम्मर कस्साँउ
अइलै नाइ रे दश वर्षको योजना बनाइबरे
उब्यान्दकि निउति घुँडा धस्साँउ
 
काउकुता रे कोकल्याका जसो 
खोला किनारैनि बोल्याजसो गरिबरे हुनैन आब
आब स्वा रटया जसो लै छाड्डुछ
इसकुल्यानका मनमा ज्ञानको किलो गाड्डुछ
 
             तबै भण्ण्याहुँ
आस एकबरे मास्टरै मास्टर बस्साँउ
खेतो बडौनाकि कम्मर कस्साँउ
अइलै नाइ रे दश वर्षको योजना बनाइबरे
उब्यान्दकि निउति घुँडा धस्साँउ


शिवराज कलौनी
भिमदत्त नगरपालिका -३, कन्चनपुर